Sunday, July 12, 2015

कम्प्युटर की पीढियां (Generation Of Computer)

हम घर और आफिस में जिस पर्सनल कम्प्युटर का प्रयोग करते हैं, इस रूप तक आने में कम्प्युटर के विविध रूपों एवं प्रविधि में परिवर्तन होता आया है। समयानुसार इस परिवर्तन को कम्प्युटर की पिढियों के रूप में अध्ययन करते हैं।
वैक्युम ट्युब का प्रयोग करके बनी हुई कम्प्युटर को पहली पिढी की कम्प्युटर कहा गया। इस प्रकार की कम्प्युटर सन् 1945 से 1956 तक प्रचलन में रही। इस कम्प्युटर का आकार बहुत बडा था और इसे चलाने के लिए लगभग 160 किलो वाट विद्युत उर्जा आवश्यक होती थी।
सन् 1948 में ट्रांजिस्टर की खोज के पश्चात वैक्युम ट्युब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों में ट्रांजिस्टर का प्रयोग होने लगा। कम्प्युटर में भी ट्रांजिस्टर का प्रयोग होने से इसका आकार छोटा हो गया एवं गति भी तीव्र हो गयी। इसे द्वितीय पीढी की कम्प्युटर के नाम से जाना जाने लगा इस प्रकार का कम्प्युटर 1956 के पश्चात 1963 तक प्रचलन में रहीं।
1964 के पश्चात् कम्प्युटर में आई सी का प्रयोग किया गया। इस कम्प्युटर को तीसरी पीढी का कम्प्युटर कहा गया।
1975 के पश्चात् कम्प्युटर में माइक्रो चीप का प्रयोग किया गया, जिसे चौथी पीढी का कम्प्युटर कहा गया।
1991 के पश्चात कम्प्युटर में बायो चीप का प्रयोग किया गया जिसे पांचवी पीढी का कम्प्युटर कहा जाता है। आज कल हम जिस कम्प्युटर का प्रयोग करते हैं वह पांचवी पीढी का कम्प्युटर ही है।

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